“शहर क्या देखें कि हर मंज़र में जाले पड़ गए हम वहां काम आएंगे, जहां तुम्हारे अपने अकेला छोड़ जाएंगे। غزل: بلکتے بچوں کو جا کے دیکھوں بِلکتے بچوں کو جا کے دیکھوں، بے گور لاشے اُٹھا کے دیکھوں क्या करें इश्क की तासीर ही ऐसी होती है। कितने ऐश https://youtu.be/Lug0ffByUck